• मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका काशी के पांच प्रमुख और प्राचीनतम् तीर्थो एवं घाटों में एक है। घाट पर स्थित मणिकर्णिका कुण्ड और उससे जुड़ी कथा के कारण ही इस घाट का नाम मणिकर्णिका पड़ा। ज्ञातव्य है कि प्रारम्भ में यह घाट प्रमुख विष्णु तीर्थो में एक था और घाट स्थित मणिकर्णिका कुण्ड चक्रपुष्करणी के नाम से जाना जाता था। मान्यतानुसार शिव पार्वती जब कुण्ड का अवलोकन कर रहे थे उस समय पार्वती के कान का मणि चक्रपुष्करणी में गिर गया। पार्वती का कर्णमणि गिरने के कारण ही इसका नाम मर्णिकर्णिका पड़ा। वर्तमान में काशी का यह घाट तीर्थ एवं श्मशान दोनों के लिए प्रसिद्ध है। इस घाट का धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों एवं स्नानार्थियों की दृष्टि से विशिष्ट महत्व है। सूर्य-चन्द्र ग्रहण, प्रबोधिनी एवं निर्जला एकादशी, मकर व मेष संक्रांन्ति, गंगा दशहरा, तीज, कजरी, छठ, भैयादूज आदि पर्वो पर यहां स्नान का विशेष महत्व है।