गांवरिया में पुरातत्व अवशेषों की खोज के लिए की गई खुदाई के दौरान ईंटों से निर्मित दो विशालकाय परिसर दिखे, जिनमें पूर्व की ओर से प्रवेश है। इसमें बड़ा टीला 39 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के साथ दक्षिणी किनारे पर स्थित है। इसमें 25 कमरे हैं और चारों कोनों पर एक गैलरी या लम्बा बरामदा भी है। इनमे उत्तर-पश्चिमी गैलरी में 85 सेंटीमीटर व्यास का एक कुआं भी स्थित है। सभी कमरे और गैलरी एक विशाल 29 वर्ग मीटर के आँगन के चारों ओर निर्मित हैं।
दूसरा परिसर करीब 30 मीटर उत्तर पूर्व में स्थित है और यह लगभग 26 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें केवल 20 कमरे हैं और इसमें कुछ अतिरिक्त निर्माण भी किये गए हैं।
इस स्थल पर पाए गए बर्तनों के अवशेषों और अन्य सामानों के आधार पर प्रतीत होता है कि, यहाँ सबसे पहले व्यवसाय का समय 8वीं शताब्दी (ई पू) का रहा होगा और यहाँ तीसरी शताब्दी (ईस्वी) तक लोग व्यवसाय करते रहे होंगे। यह स्थान पिपरहवा के प्राचीन स्तूप के निकट है, जहां कपिलवस्तु के उल्लेख वाली मोहरें पाई गईं थीं। यहाँ खोजे गए विशाल भवन और प्राचीन अवशेष के आधार पर यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि यह कपिलवस्तु नगर की राजधानी थी, जहां शाक्य शासक शुद्धोधन और उसके पुरखे निवास करते थे।