इस शानदार किले में तीन विशालकाय गलियारे हैं, जिनमे तीन आकर्षक और ऊँचे टावर हैं। फिलहाल इसका इस्तेमाल भारतीय सेना कर रही है और इसका एक सीमित हिस्सा ही पर्यटकों के लिए खुला है।
पानी को रोके खड़ी किले की बाहरी दीवार आज भी बहुत मजबूत है। यहां पर्यटकों को अशोक स्तंभ और सरस्वती कूप को ही देखने की अनुमति है। पॉलिश किए हुए बलुई पत्थर से बना यह विशालकाय अशोक स्तंभ 10.6 मीटर ऊंचा है। इसका इतिहास 232 ई.पू. तक जाता है। इस स्तंभ पर बादशाह जहांगीर के कई फरमान और पर्शियन भाषा में महत्वपूर्ण बातें अंकित हैं। खासकर उनके द्वारा गद्दी संभालने का ज़िक्र इस पर अंकित है।
इसके अलावा यहाँ पातालपुरी मंदिर भी बेहद पवित्र माना गया है। अक्षय वट या अमर बरगद का पेड़ भी भक्तजनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।