यहां का जंगल काफी हद तक अनछुआ है और यहां शहरीकरण या विकास की आहट नहीं सुनाई पड़ती है। यह उन यात्रियों के लिए सबसे अच्छी जगह है जो शोर शराबे से दूर एक शांत छुट्टी बिताने प्रकृति की गोद में जाना चाहते हैं। घने जंगलों, पक्षियों, वन्यजीवों और अन्य वन्यप्राणियों के बीच समय बिताने के लिए यह उत्तम स्थान है।
यहां जंगल के बीच गिरवा नदी बहती है जिसका उद्गम नेपाल में है। इस नदी को घड़ियाल और मगरमच्छ के लिए शरण स्थल घोषित किया गया है। यहां दुर्लभ प्रजाति के कछुए, ताजे पानी में पाई जाने वाली मछलियां और अन्य कई प्रकार के जलीय प्राणी भी देखे जा सकते हैं। नदी के दोनों ओर लगे पेड़, प्राकृतिक तौर पर बनी पेड़ों की छांव और दूर तक फैले घने हरे पेड़ों के जंगल मन को शांति पहुँचाते हैं। इन दृश्यों के बीच नदी पर मोटर बोट से सैर करने का अपना अलग ही आनंद है।
गिरवा नदी देश की उन नदियों में से है जिनमे, ताजे पानी में पाई जाने वाली डॉल्फिन रहती हैं। इन गंगेटिक डॉल्फिन का यह प्राकृतिक निवास है और नदी में उछलती-कूदती डॉल्फिन को देखने में एक अलग रोमांच की अनुभूति होती है।
कतर्निया घाट की कुछ प्रमुख बातें-
- बहराइच जिले में लखनऊ से 200 किमी दूर यह जंगल के बीच स्थित में है।
- यह घाट नेपाल में बरदिया राष्ट्रीय उद्यान की सीमा से जुड़ा हुआ है।
- गिरवा और कोर्डिया नदी जो बाद में मिलकर घाघरा नदी बनती है।
- गिरवा नदी के ताजे पानी में डॉल्फिन पाई जाती हैं।
- बाघ, तेंदुआ, हिरण और चिकारा के अलावा कई वन्य जीव यहां रहते हैं।