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धामेक स्तूप

वाराणसी के पास सारनाथ का सबसे उल्लेखनीय स्मारक धमेक स्तूप स्थित है। देश में स्थित बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्मारकों में इसे गिना जाता है। महान मौर्य सम्राट अशोक ने 249 ई. पू. में इसी स्थान पर स्मारक बनाने के निर्देश दिए थे और धमेक स्तूप 500 ई. पू. में बनकर तैयार हुआ था। इसके पास ही अशोक की लाट स्थित है।

धामेक स्तूप ऋषिपत्तन का प्रतिनिधित्व करता है। इस उद्यान का बौद्ध धर्म में खास महत्व है। कहते हैं कि ज्ञान प्राप्त करने के बाद भगवान बुद्ध ने यहीं पर अपना पहला प्रवचन दिया था।.

यह स्तूप 43.6 मीटर ऊंचा है एवं 28 मीटर चौड़ा है तथा यह आंशिक रूप से मिट्टी एवं ईंटों से बना हुआ है। इस स्तूप का निचला हिस्सा गुप्त मूल के पुष्पों की नक्काशी से सजा हुआ है।

यह स्तूप छह अवसरों पर बढ़ाया गया है परंतु इसका ऊपरी हिस्सा अभी भी अपूर्ण है । इसकी दीवारों पर अत्यधिक सुंदर मनुष्य एवं पक्षियों के चित्र बने हुए है तथा ब्राह्मी लिपि में शिलालेख लिखे हुए है।