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अयोध्या

अनेकों प्रख्यात राजा यथा इक्ष्वाकु, पृथु, मान्धाता, हरिश्चंद्र, सागर, भागीरथ, रघु, दिलीप, दशरथ तथा राम ने कोशल देश की राजधानी अयोध्या से शासन किया। उनके शासन काल में राज्य का वैभव शिखर पर पहुंचा तथा राम राज्य का प्रतीक बना।

सरयू नदी के पूर्वी तट पर बसा अयोध्या नगर पुरातन काल के अवशेषों से भरा हुआ है। प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण व श्री रामचरितमानस अयोध्या के ऐश्वर्य को प्रदर्शित करते हैं।

रामायण का एक प्रकरण, प्राचीन इतिहास का एक पन्ना तथा पर्यटन आकर्षण का एक समूह यह नगर तीर्थयात्रियों, इतिहासविदों, पुरातत्ववेत्ताओं तथा विद्यार्थियों हेतु प्रमुख केंद्र रहा है |

लेन्स के माध्यम से जानें अयोध्या को

अयोध्या

सरयू नदी के पूर्वी तट पर बसा अयोध्या नगर पुरातन काल के अवशेषों से भरा हुआ है। प्रसिद्ध महाकाव्य रामायण व श्री रामचरितमानस अयोध्या के ऐश्वर्य को प्रदर्शित करते हैं।

दर्शनीय स्थल

हनुमान गढ़ी

  • इसका निर्माण एक किले की आकृति में हुआ है तथा 76 सीढ़ियाँ चढ़ कर यहाँ पहुंचा जा सकता है, इस तीर्थ नगर में 10वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं | इसके हर कोने पर वृत्ताकार मोर्चाबंदी की गई है तथा ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह वह स्थान है जहां हनुमान जी एक गुफा में रहे थे तथा नगर की रक्षा की थी |
  • इस मंदिर में हनुमान जी की एक स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है, यह अयोध्या के सबसे सम्मानित स्थानों में से एक माना जाता है |
  • प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु हनुमान जी के पूजन तथा बुराइयों से अपनी रक्षा तथा समृद्धि व प्रसन्नता हेतु हनुमान गढ़ी के दर्शन करते हैं

रामकोट

  • (ग्रीष्म - 6:30 पूर्वाह्न से 10:30 बजे पूर्वाह्न तथा 3:00 बजे अपराहन से 6:00 बजे अपराहन तक, शीतकाल - 7:30 बजे पूर्वाह्न से 10:30 बजे पूर्वाह्न तक तथा 2:00 वजे अपराहन से 5:00 बजे अपराहन तक) यह एक ऊंचे भूभाग पर स्थित है तथा मंदिरों से परिपूर्ण है, यह अयोध्या के प्रमुख आकर्षणों में से एक है | हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यहाँ चैत्र मास में (मार्च-अप्रैल) में राम नवमी का पर्व बहुत ही वैभव व धूमधाम से मनाया जाता है | इस समय न केवल पूरे देश बल्कि विश्व भर से तीर्थयात्री यहाँ एकत्र होते हैं तथा भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं |
Hanumangarhi
Ramkot
Shri Nageshwarnath Temple
Kanak Bhawan

श्री नागेश्वरनाथ मंदिर

  • भगवान नागेश्वर नाथ जी अयोध्या के प्रमुख अधिष्ठाता माने जाते हैं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने भगवान नागेशवरनाथ जी को समर्पित इस सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया था |
  • यहाँ स्थापित शिवलिंग को बहुत प्राचीन काल का माना जाता है | लोक कथाओं के अनुसार कुश सरयू नदी में स्नान ग्रहण कर रहे थे तभी उनका बाजूबंद पानी में गिर गया | कुछ समय बाद एक नाग कन्या वहाँ प्रकट हुई तथा उनका बाजूबंद उन्हें लौटा दिया | वे दोनो एक दूसरे के प्रेम के वशीभूत हो गएं एवं इसके पश्चात कुश द्वारा उनके लिए इस मंदिर का निर्माण भी कराया गया |
  • अयोध्या के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तथा सम्मानित मंदिरों में से एक होने के कारण यहाँ महाशिवरात्रि के उत्सव पर पूरे देश से बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं | मंदिर का वर्तमान भवन 1750 ईस्वी में निर्मित हुआ था |

कनक भवन

  • टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) की रानी वृषभानु कुंवरि, ने 1891 में उत्कृष्टता से अलंकृत इस मंदिर का निर्माण करवाया था |
  • मुख्य मंदिर में एक आंतरिक खुला भाग है जहां रामपद का एक पवित्र मंदिर है | सीता माता तथा भगवान राम के साथ उनके तीनों भ्राताओं की मूर्तियां अत्यंत सुंदर प्रतीत होती हैं |

तुलसी स्मारक भवन

  • तुलसी स्मारक भवन महान संत कवि गोस्वामी तुलसी दास जी को समर्पित है | नियमित प्रार्थना सभाएं,भक्तिमय सम्मेलन तथा धार्मिक प्रवचन यहाँ आयोजित किए जाते हैं | इस परिसर में अयोध्या शोध संस्थान भी स्थित है जिसमें गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित रचनाओं का संकलन है |
  • तुलसी स्मारक सभागार में प्रतिदिन 6:00 बजे अपराहन से लेकर 9:00 बजे अपराहन तक रामलीला का मंचन किया जाता है जो एक प्रमुख आकर्षण है |

त्रेता के ठाकुर

  • यह काले राम के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है, विश्वास किया जाता है कि इसी सुंदर मंदिर में भगवान राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था | कुल्लू (हिमाचल प्रदेश) के राजा ने लगभग तीन शताब्दी पूर्व इस मंदिर का निर्माण करवाया था | बाद में इंदौर (मध्य प्रदेश) की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका जीर्णोद्वार करवाया | यहाँ स्थापित मूर्तियां काले पत्थर से निर्मित हैं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि ये मूर्तियां राजा विक्रमादित्य के युग की हैं |
Tulsi Smarak Bhawan
Treta-ke-Thakur
Jain Shrines in Ayodhya
Mani Parvat

अयोध्या में जैन मंदिर

  • यह मात्र भगवान राम का जन्मस्थल ही नहीं बल्कि जैनियों के लिए भी बहुत उच्च महत्त्व का स्थान है , विश्वास किया जाता है कि यहाँ पर 5 जैन तार्थंकरों ने जन्म लिया है |
  • प्रतिवर्ष, अनुयायी यहाँ बड़ी संख्या में इन महान संतों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने हेतु पहुँचते हैं तथा विशेष आयोजनों में भाग लेते हैं | पूरे पवित्र नगर में बहुत से जैन मंदिर भी हैं, स्वर्गद्वार के निकट भगवान आदिनाथ का मंदिर, गोलाघाट के निकट भगवान अनंतनाथ का मंदिर, रामकोट में भगवान सुमननाथ का मंदिर , सप्तसागर के निकट भगवान अजीतनाथ का मंदिर तथा सराय में भगवान अभिनंदन नाथ का मंदिर दर्शनीय है |
  • रानीगंज क्षेत्र में एक विशाल जैन मंदिर स्थापित है, इसमें प्रथम तीर्थांकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेवजी) की 21 फुट ऊंची प्रतिमा विशेष रूप से स्थापित है |

मणि पर्वत

  • ऐसा विश्वास किया जाता है कि हनुमान जी घायल लक्ष्मण के उपचार हेतु संजीवनी बूटी के साथ विशाल पर्वत को उठा कर लंका ले जा रहे थे, तो रास्ते में इसका कुछ भाग गिर गया | इससे निर्मित पहाड़ी जो 65 फुट ऊंची है, मणि पर्वत के नाम से जाती जाती है |

छोटी देवकाली मंदिर

  • नया घाट के निकट स्थित यह मंदिर हिन्दू महाकाव्य महाभारत की अनेकों दंतकथाओं से संबन्धित है | किवदंतियों के अनुसार, माता सीता अयोध्या में भगवान राम के साथ अपने विवाहोपरांत देवी गिरिजा की मूर्ति के साथ आयीं थीं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि राजा दशरथ ने एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया तथा इस मूर्ति को मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया था | माता सीता यहाँ प्रतिदिन पूजा करती थीं| वर्तमान में यह देवी देवकाली को समर्पित है और इसी कारण इसका यह नाम पड़ा |

राम की पैड़ी

  • सरयू नदी के किनारे घाटों की एक श्रृंखला स्थापित की गई है जो श्रद्धालुओं को एक ऐसा स्थान प्रदान करती है जो यहाँ अपने पाप धोने हेतु आते हैं | यहाँ हरे भरे बगीचे भी हैं जो मंदिरों से घिरे हैं | नदी का किनारा विशेष कर रात के दूधिया प्रकाश में एक नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करता है | इस घाट पर श्रद्धालु पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं तथा ऐसी मान्यता है की इस नदी में डुबकी लगाने मात्र से श्रद्धालुओं के पाप धुल जाते हैं। सरयू नदी घाट पर जल की निरंतर आपूर्ति करती है तथा इसका अनुरक्षण सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है |
Chhoti Devkali Temple
Ram ki Paidi
Queen- Huh Memorial Park
Saryu River

क्वीन हो मेमोरियल पार्क

  • उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी अयोध्या प्रतिवर्ष सैंकड़ों दक्षिण कोरियाई लोगों को आकर्षित करती है जो यहाँ प्रसिद्ध रानी ‘हो-हवांग ओके’ को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु आते हैं। किवदंति के अनुसार, रानी ‘हो-हवांग ओके’, जो राजकुमारी सुरिरत्ना के नाम से भी जानी जाती हैं, दक्षिण कोरिया के ‘करक’ वंश के राजा किम सूरो से 48 ईस्वी में विवाह कर वहीं बस जाने से पूर्व अयोध्या की राजकुमारी थीं | ऐसा विश्वास किया जाता है कि वे एक नाव से कोरिया पहुँचीं तथा गेयुम्ग्वान गया के राजा सूरो की प्रथम रानी बनीं | वे 16 वर्ष की थीं जब उन्होंने विवाह किया तथा वे गया राज्य की प्रथम रानी मानी जाती हैं |
  • उनका स्मारक अयोध्या में स्थित होने के कारण ही करक वंश के 60 लाख लोग इस नगरी को रानी ‘हर-हवांग ओके’ का मायका मानते हैं | अयोध्या में इस स्मारक का प्रथम बार वर्ष 2001 में उदघाटन में किया गया था |

सरयू नदी

  • उत्तर प्रदेश के प्रमुख जलमार्गों में से एक, सरयू नदी का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों यथा वेद तथा रामायण में मिलता है | “जो प्रवाहित हो रहा है” का वास्तविक अनुवाद किया जाए तो यह प्रवाह अयोध्या से होकर बहता है तथा ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस नगर को पुनर्युवा बनाए रखता है तथा इस धार्मिक नगरी की अशुद्धियों को धो देता है |
  • विभिन्न धार्मिक अवसरों पर यहाँ सहस्रों श्रद्धालु वर्ष भर इस नदी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं |

गुरुद्वारा

  • ब्रह्म कुंड तथा नज़रबाग में स्थित गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी, गुरु तेग बहादुर जी तथा गुरु गोविंद सिंह जी से संबन्धित है | बड़ी संख्या में अनुयायी इन गुरुद्वारों के दर्शन करते हैं तथा श्रद्धा से शीश झुकाते हैं |

सूरज कुंड

  • यह दर्शन नगर में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग पर अयोध्या से 4 किमी की दूरी पर स्थित है | सूरज कुंड एक बहुत बड़ा तालाब है जो चारों ओर से घाटों से घिरा है तथा आगंतुकों हेतु अति सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है | ऐसा विश्वास किया जाता है कि अयोध्या के सूर्यवंशी शासकों ने भगवान सूर्य के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने हेतु इस कुंड का निर्माण करवाया था |
Gurudwaras
Suraj Kund
Ghats and Kunds
Gulab Bari

कुंड तथा घाट

  • यहाँ के प्रसिद्ध घाट तथा कुंड हैं राज घाट, राम घाट, लक्ष्मण घाट, तुलसी घाट, स्वर्गद्वार घाट, जानकी घाट, विद्या कुंड, विभीषण कुंड, दंत धवन कुंड, सीता कुंड इत्यादि | अन्य आकर्षक स्थानों में अमोवन मंदिर, दशरथ महल, जानकी महल, लक्ष्मण क़िला, लव-कुश मंदिर, मत्ताज्ञानदाजी मंदिर, राज गद्दी, श्री राम जानकी बिड़ला मंदिर तथा वाल्मीकि रामायण भवन प्रमुख हैं |

गुलाब बाड़ी

  • जैसा कि नाम से प्रकट होता है कि गुलाब बाड़ी एक गुलाब बगीचा है | विशाल बगीचे के अंदर ही शुजाऊद्दौला व उसके परिवार का मकबरा है |बगीचे की स्थापना 1775 ईस्वी में हुई तथा इसमें गुलाब के फूलों की बहुत सी प्रजातियाँ हैं | शानदार मकबरे का एक बहुत बड़ा गुंबद है तथा ये एक दीवार से घिरा हुआ है | इस परिसर में प्रवेश हेतु दो बड़े द्वार हैं |

बहू-बेगम का मकबरा

  • यह बेगम उम्मतुज़ ज़ोहरा बानो का अंतिम विश्राम स्थल है, जो नवाब शुजाऊद्दौला की बेगम थीं | यह मकबरा अवधी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है | सम्पूर्ण परिसर हरियाली से भरा है तथा अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए एस आई) के अंतर्गत एक संरक्षित स्थल है तथा इसकी देखरेख शिया बोर्ड कमेटी (लखनऊ) द्वारा किया जाता है | मुहर्रम के दौरान इसकी जीवंतता देखते ही बनती है |
  • यह अयोध्या की सबसी ऊंची इमारत है तथा इसके ऊपरी भाग से पूरे शहर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है |

कंपनी गार्डन

  • (5 बजे पूर्वाह्न से 12 बजे मध्याह्न तक तथा 4 बजे अपराहन से 9 बजे अपराहन तक)
  • इस गुप्तार घाट गार्डन के नाम से भी जाना जाता है, यह विशाल वानस्पतिक बगीचा दैनिक जीवन की चिंताओं को भुला कर तथा शहरी क्षेत्रों की आपा धापी से मुक्त होकर टहलने हेतु, शांति हेतु तथा प्रकृति माँ के साथ एकाकार होने हेतु एक अति उत्तम स्थान है |
  • सरयू नदी के किनारे स्थित इस उपवन में असंख्य प्रजातियों की बूटियाँ तथा यहाँ लगाए गए पेड़ों को देख कर कोई भी विस्मय कर सकता है |
Tomb of Bahu Begum
Company Garden
Guptar Ghat

गुप्तार घाट

  • सरयू नदी के किनारे स्थित यह वह स्थान है जहां भगवान राम ने जल समाधि ली थी | राजा दर्शन सिंह ने इसे 19वीं शताब्दी के पहले चरण में निर्मित करवाया था |यहाँ घाट पर राम जानकी मंदिर, पुराना चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर तथा हनुमान मंदिर का दर्शन किया जा सकता है |

अयोध्या का अवलोकन

वायु

अयोध्या के लिए निकटतम हवाई अड्डा चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा (लखनऊ-134 किमी) या प्रयागराज हवाई अड्डा (166 किमी) है।

रेल

अयोध्या उत्तर रेलवे के मुगल सराय-लखनऊ मुख्य मार्ग पर स्थित है। अयोध्या व अयोध्या कई गाड़ियों के द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़े हुए हैं।

रोड

अयोध्या कई प्रमुख शहरों और कस्बों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। प्रमुख शहरों से सड़क दूरी कुछ इस प्रकार है- लखनऊ (134 किमी), गोरखपुर (147 किमी), झांसी (441 किमी), प्रयागराज (166 किमी), श्रावस्ती (119 किमी), वाराणसी (209 किमी) और गोंडा (51 कि

सामान्य जानकारी

  • क्षेत्रफल : 10.24 वर्ग किमी। जनसंख्या : 40,642 (1991 की जनगणना के अनुसार)।
  • ऊंचाई : समुद्र तट से 26.90 मीटर ऊपर।
  • मौसम : अक्टूबर-मार्च
  • वस्त्र (गर्मी) : सूती वस्त्र।
  • वस्त्र (शीतकालन) : ऊनी।
  • भाषा : हिन्दी, अंग्रेजी और अवधि।
  • स्थानीय परिवहन : टैक्सी, तांगा, टेंपो, बसें, साइकिल-रिक्शा।
  • एसटीडी कोड : 05278

ट्रेवल डेस्क

  • क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय, 1-3/152/4, पुष्पराज गेस्ट हाउस के निकट, सिविल लाइन्स, अयोध्या।
  • उत्तर प्रदेश सरकार पर्यटन कार्यालय, पथिक निवास, साकेत, रेलवे स्टेशन के निकट, अयोध्या।

खान पान व अन्य सुविधाएं

  • मिठाइयां / लड्डू / कचोरी

खरीददारी

अयोध्या में प्रवेश करने पर आपका स्वागत सड़कों के दोनों ओर लगी दूकानों से होगा । यह लोगों के लिए अपने मंदिरों में प्रयोग होने वाली सामग्री के भंडारण हेतु बिलकुल उपयुक्त स्थान है – मूर्तियों से लेकर, आभूषण, मूर्तियों के वस्त्र, हल्दी, कुमकुम व चन्दन आदि । केवल यही नहीं, आप यहाँ से सुंदर चूड़ियाँ, तांबे के फूलदान तथा विभिन्न देवताओं के होलोग्राफ़िक पोस्टर भी खरीद सकते हैं । अयोध्या संगमरमर से निर्मित देवी देवताओं की मूर्तियों हेतु भी प्रसिद्ध है ।

दीपोत्सव अयोध्या

भगवान राम के चौदह वर्षों के वनवास के बाद वापसी व राक्षस-राजा रावण के वध के प्रतीक स्वरूप बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है |भगवान राम के घर वापस आने आनंदातिरेक में मनाए जाने वाले इस उत्सव में अयोध्या वासियों ने राज्य में दीप जलाए थे तथा वैभव में उनका स्वागत किया था |तभी से प्रतिवर्ष प्रकाश का उत्सव जिसे दीपावली के नाम से जाना जाता है, मनाया जाता है । अयोध्या में पर्यटन विभाग दीपावली की पूर्व संध्या पर दीपोत्सव का आयोजन करता है जिसे छोटी दीवाली के नाम से जाना जाता है । दीपोत्सव के आयोजन पर, सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया जाता है, लाखों दिये अथवा मिट्टी के दीप जलाए जाते हैं, रामलीला का मंचन किया जाता है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ एक महाआरती का आयोजन किया जाता है । पूरे विश्व से हजारों श्रद्धालु यहाँ आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं ।

राम नवमी मेला (अप्रैल)

अप्रैल माह में नवरात्रि के नौवें दिन राम नवमी मेले में हजारों श्रद्धालु भगवान राम का जन्म समारोह मनाने के लिए राम नवमी मेला में एकत्र होते हैं | यह उत्सव हिन्दू मास चैत्र में आता है तथा इसे हिन्दू धर्म के पाँच अति पवित्र उत्सवों में से एक माना जाता है । इस मेले का एक मुख्य आकर्षण राम-लीला का मंचन है (जिसमें भगवान राम के जीवन काल को दिखाया जाता है) जिसे नगर में व्यापक रूप से आयोजित किया जाता है | मेले हेतु मंदिरों को व्यापक रूप से सजाया जाता है ।

श्रावण झूला मेला (अगस्त)

झूला आम तौर पर हिन्दू मास श्रावण में प्रयोग किया जाता है । इस मेले में स्वर्ग के देवताओं की क्रीड़ात्मक भावनाओं को दर्शाया जाता है । यह मेला श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है । श्रद्धालु झूलों में अधिष्ठाताओं की मूर्तियां (विशेषकर श्री राम, श्री लक्ष्मण तथा माता सीता) रखते हैं अथवा मंदिरों में झूला लगाते हैं । श्रद्धालुओं द्वारा निकाली गई शोभायात्रा में अधिष्ठाताओं की मूर्तियों को मणि पर्वत भी ले जाया जाता है ।

मणि पर्वत पहुँचने के बाद मूर्तियों को वृक्षों की शाखाओं पर झूला झुलाया जाता है । बाद में अधिष्ठाताओं को वापस मंदिरों में ले आया जाता है । मेला श्रावण मास के अंत तक चलता है ।

मणि पर्वत पहुँचने के बाद मूर्तियों को वृक्षों की शाखाओं पर झूला झुलाया जाता है । बाद में अधिष्ठाताओं को वापस मंदिरों में ले आया जाता है । मेला श्रावण मास के अंत तक चलता है ।

राम लीला

रामलीला भगवान राम के जीवन का लोक नाट्य रूपान्तरण है, जो हिन्दू महाकाव्य रामायण के उल्लेखानुसार भगवान राम तथा रावण के मध्य चले दस दिन लंबे युद्ध पर समाप्त होता है । भारतीय उपमहाद्वीप से प्रारम्भ हुई यह परंपरा शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रतिवर्ष लागातार 10 अथवा उससे अधिक रात्रियों तक मंचित की जाती है । यह शरदोत्सव काल के प्रारम्भ होने का प्रतीक है, जो दशहरा उत्सव के साथ प्रारम्भ होता है । आम तौर पर प्रदर्शन विजयदशमी के दिन तक समाप्त हो जाते हैं जो भगवान राम की राक्षस राजा रावण पर विजय का प्रतीक है । कलाकारों को एक शोभायात्रा के माध्यम से नगर के मेला मैदान अथवा नगर के चौक पर ले जाया जाता है जहां पर श्री राम तथा रावण के अंतिम युद्ध का मंचन किया जाता है। रावण, उसके भाई कुंभकर्ण तथा पुत्र मेघनाद के पुतलों में आग लगा दी जाती है तथा अयोध्या में भगवान राम का राज तिलक अथवा अभिषेक किया जाता है इसके साथ ही इस उत्सव की परिणिति ईश्वरीय आदेश की पूर्वावस्था में होती है |

परिक्रमाएँ

हिन्दू पूजा में परिक्रमाएँ एक अनिवार्य भाग है, यहाँ आने वाले भगवान राम के श्रद्धालु निम्नलिखित परिक्रमाओं से गुजरते हैं

अनंतग्रही परिक्रमा

यह तीन परिक्रमाओं में सबसे छोटी है तथा एक दिन में पूरी की जा सकती है । श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से सरयू नदी में आस्था की डुबकी लगा कर राम घाट, सीता कुंड, मणि पर्वत, ब्रह्म कुंड हो कर अंत में कनक भवन पहुंचते हैं।

पंचकोशी परिक्रमा

16 किमी लंबा सर्किट जो चक्रतीर्थ से प्रारम्भ होता है तथा नयाघाट, रामघाट, सरयूबाग, होलकर-का-पूरा, दशरथकुंद, जोगैना ,रानोपाली , जालपा नाला तथा महताबाग से होकर गुजरता है ।


चतुर्दशकोशी परिक्रमा

45 किमी की यात्रा अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर की जाती है तथा इसे 1 दिन में ही पूर्ण करना होता है

महत्त्वपूर्ण नंबर पर्यटक सूचना केंद्र
पुलिस 100

उत्तर प्रदेश पर्यटक कार्यालय
टूरिस्ट बंगला परिसर, निकट रेलवे स्टेशन
अयोध्या, उ॰ प्र॰ +91-5278-232435
क्षेत्रीय पर्यटक कार्यालय,
मकान नंबर. 1-3/152/4, पुष्पराज गेस्ट हाउस के पीछे,
सिविल लाइंस, फैज़ाबाद,उ॰प्र॰ (:+91-5278-223214
ई-मेल: rtofzd@gmail.com

अग्निशमन 101
एंबुलेंस 102
रेल पूछताछ 139
श्री राम अस्पताल +91-5278-232149
आयोध्या आँख का अस्पताल +91-5278-232828
कहाँ ठहरें
राही टूरिस्ट बंगला (उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम)
निकट रेलवे स्टेशन, अयोध्या
(+91-5278-232435),
ई-मेल:rahisaket@up-tourism.com
राही यात्री निवास (उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम)
सरयू तट, निकट रामकथा पार्क, जनपद अयोध्या,
ई-मेल: yatriniwasayodhya@up-tourism.com
होटल रामप्रस्थ
निकट रामकथा संग्रहालय, अयोध्या
(+91 5278-232110, 9721691096)
श्रीराम होटल
निकट दंत धवन कुंड, अयोध्या
(+91 5278-232512)
राम धाम गेस्ट हाउस
रेलवे स्टेशन रोड, अयोध्या
राम अनुग्रह विश्राम सदन
छोटी छावनी मार्ग, अयोध्या
कनक भवन धर्मशाला
अयोध्या
(91-5278-232024, 232901)
बिड़ला धर्मशाला
निकट पुराना बस स्टेशन, अयोध्या
(+91-5278-232252)
गुजरात भवन धर्मशाला
निकट दंत धवन कुंड , अयोध्या
(+91-5278-232075)
जैन धर्मशाला
राय गंज, अयोध्या
(+91-5278-232308)
जानकी महल ट्रस्ट धर्मशाला
नया घाट, अयोध्या
(+91-5278-232032, 232151)
पंडित बंशीधर धर्मशाला
नया घाट, अयोध्या
रामचरितमानस ट्रस्ट धर्मशाला
अयोध्या
(+91-5278-233040)
दामोदर धर्मशाला
सुभाष नगर, फैज़ाबाद
(+91-5278-223561)
श्याम सुंदर धर्मशाला
रीड गंज, फैज़ाबाद
(+91-5278-240704)