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प्रयागराज हेरिटेज वॉक

प्रयागराज शहर संगम किनारे अथवा गंगा, यमुना एवं पौराणिक सरस्वती के संगम पर बसा हुआ है। यह भारत का दूसरा सबसे प्राचीन शहर माना जाता है एवं हिन्दू शास्त्रों में इसे प्रमुखता से स्थान प्राप्त है। मुगल शासक अकबर ने इस शहर का नाम इलाहाबाद अर्थात ईश्वर की नगरी, रखा था। मार्क ट्वाइन, अमरीकि लेखक ने भी इसे ईश्वर का नगरी (Godville) से संबोधित किया है। हाल ही में इलाहाबाद का नाम पुनः प्रयागराज कर दिया गया है। सन् 1858 में प्रयागराज उत्तर पश्चिमी प्रांत की राजधानी भी बना एवं एक दिन के लिए भारत की राजधानी भी घोषित किया गया। इससे पूर्व सन् 1857 के संग्राम में भी प्रयागराज ने अहम भूमिक निभाई थी। इसके अतिरिक्त आजादी के आंदोलन में भी प्रयागराज की अहम भूमिक रही है। इंडियन नेशनल कांग्रेस का 1888 सत्र भी इसी शहर में आयोजित हुआ था एवं 20वीं शताब्दी तक यह क्रांति के दृष्टिकोण से एक सक्रिय केंद्र बन चुका था।

महत्वपूर्ण तथ्य

क्षेत्र  63.07 Sqkm.
ऊंचाई समुद्र तल से 98 मीटर ऊपर
तापमान 030C-45.500C
औसत वार्षिक वर्षा 85 mm
सर्वश्रेष्ठ मौसम नवंबर-मार्च
एसटीडी कोड 0532
भाषा हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी
वायु मार्ग रेल मार्ग बस

बमरौली एयरपोर्ट, टेलीफोन नंबर: 2581370
एयर इंडिया कार्यालय टेलीफोन नंबर: 2581380 (सुबह 10:00 बजे से शाम 05:00 बजे तक)

इलाहाबाद जंक्शन स्टेशन टेलीफोन: 138, 139
इलाहाबाद सिटी स्टेशन (रामबाग) टेलीफोन: 0532-2557978

यूपीएसआरटीसी बस स्टैण्ड, सिविल लाइन्स टेलीफोन: 0532-2407257
यूपीएसआरटीसी बस स्टैण्ड, जीरो रोड टेलीफोन: 07525022574, 576

महत्वपूर्ण टेलीफोन नंबर

डीएम प्रयागराज टेलीफोन: 2250300, 2440515
एसएसपी प्रयागराज टेलीफोन: 2440700, 2641902
कुम्भ मेला कार्यालय टेलीफोन: 0532-2504011, 2504361
विदेशी पंजीकरण कार्यालय (एलआईयू) यूपीएसआईडीसी यूपी टुअर्स पर्यटक सूचना केंद्र
आनंद भवन के सामने, टेलीफोन: 0532-2461097
पुलिस नियंत्रण कक्ष संख्या 100, 9454402822
एंबुलेंस: 102 एवं 108 
राही इलावर्त टूरिस्ट बंगला, 35, एमजी मार्ग,
सिविल लाइन्स, प्रयागराज
टेलीफोन नंबर 0532-2102784
उत्तर प्रदेश सरकार, क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय
35 एमजी मार्ग, सिविल लाइन्स, प्रयागराज
टेलीफोन नंबर +91-532-2408873
ई-मेल rtoald0532@rediffmail.com
विदेशी पंजीकरण कार्यालय (एलआईयू) यूपीएसआईडीसी यूपी टुअर्स पर्यटक सूचना केंद्र
आनंद भवन के सामने, टेलीफोन: 0532-2461097
पुलिस नियंत्रण कक्ष संख्या 100, 9454402822
एंबुलेंस: 102 एवं 108 
राही इलावर्त टूरिस्ट बंगला, 35, एमजी मार्ग,
सिविल लाइन्स, प्रयागराज
टेलीफोन नंबर 0532-2102784
उत्तर प्रदेश सरकार, क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय
35 एमजी मार्ग, सिविल लाइन्स, प्रयागराज
टेलीफोन नंबर +91-532-2408873
ई-मेल rtoald0532@rediffmail.com

सार्वजनिक पुस्तकालय

इलाहाबाद सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना उत्तर-पश्चिमी फ्रंटियर प्रांत सरकार द्वारा करी गई थी। वर्तमान संस्थान, राजकीय सार्वजनिक पुस्तकालय, थार्नहिल-मेयन मेमोरियल बिल्डिंग में स्थापित है। इसका निर्माण सी.बी. थार्नहिल एवं एफ.ओ. मानेय की स्मृति के रूप में किया गया था, जो इनकी दोस्ती एवं विद्वता का प्रमाण है। पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, मैगजीन, अखबार, राजपत्र एवं अन्य पठन सामग्री हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, बंगला एवं फ्रेंच भाषा में एवं कुछ प्रमुख हस्तलिपि उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त मजमा-उल-बहराइन, द शाहनामा ऑफ फिरदौसी, ज्योतिष-शास्त्र एवं गणेश पुराण भी मौजूद हैं।

प्रयागराज में यह सबसे प्राचीन पुस्तकालय है। पुस्तकालय में राजकीय प्रकाशन एवं संसदीय दस्तावेजों, प्राचीन हस्तलिपियां एवं जर्नल के अतिरिक्त लगभग 75,000 पुस्तकें मौजूद हैं।

इलाहाबाद संग्रहालय

इलाहाबाद संग्रहालय, कमला नेहरू रोड पर दर्शनीय चंद्रशेखर पार्क (कंपनी बाग) के अंदर इलाहाबाद रेलवे जंक्शन से लगभग 2.5 किमी दूरी पर स्थित है। इस संग्रहालय को वर्ष 1954 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा सार्वजनिक रूप से जनता के लिए खोला गया था। संग्रहालय के संग्रह को कुल 16 गैलरियों में प्रदर्शित किया गया है एवं एक गैलरी में अस्थायी प्रदर्शनी भी दिखाई जाती है। इन गैलरियों में परिचय गैलरी, अलंकारिक कला गैलरी, शस्त्र, वस्त्र गैलरी, आधुनिक भारत पेंटिंग गैलरी, आजादी की क्रांती गैलरी आदि सम्मिलित हैं।

इलाहाबाद संग्रहालय की सभी गैलरी अपनी अनूठी प्रदर्शनी के लिए विख्यात हैं। संग्रहालय में कौशाम्बी की टेराकोटा का वृहद संग्रह मौजूद है एवं संस्कृत तथा फारसी में पंडुलिपियां भी उपलब्ध हैं। गांधी गैलरी में महात्मा गांधी के जीवन तथा उनकी उपलब्धियों को तस्वीरों के माध्यम से विस्तृत रूप में दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त यहां पर महात्मा गांधी के सम्मान में अन्य देशों द्वारा निर्गत किए गए कुछ दुर्लभ डाक टिकट, सिक्के आदि भी मौजूद हैं।

प्रारंभ स्थान: अल्फ्रेड पार्क (चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क))

चंद्रशेखर आजाद पार्क (अल्फ्रेड पार्क): पूर्व में अल्फ्रेड पार्क के नाम से विख्यात, चंद्रशेखर आजाद पार्क लगभग 133 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है तथा यह प्रयागराज का सबसे बड़ा पार्क है, जो नगर केंद्र से लगभग 25 किमी दूरी पर स्थित है। इसका पुनः नामकरण स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने सन् 1931 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहीं पर अपने प्राणों की आहुति दी थी। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान यह पार्क कार्यक्रमों के आयोजन के लिए आधिकारिक स्थल था। अलग-अलग समय पर यहां पर पुलिस बैंड के संगीतमय कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता था। पार्क के केंद्र में जॉर्ज वी एवं विक्टोरिया की एक विशाल प्रतिमा भी स्थापित है। चंद्रशेखर आजाद एक भारतीय क्रांतीकारी थें जिन्होंने स्वयं को आजाद की उपाधी दी थी एवं हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन का पुनर्गठन किया था।

पूरा नाम चंद्र शेखर तिवारी
जन्म

23 जुलाई, 1906, भवरा

शिक्षा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
माता-पिता

जगरानी देवी, सीताराम तिवारी

मृत्यु 27 फरवरी, 1931, प्रयागराज

म्योर सेंट्रल कॉलेज

मुइर सेंट्रल कॉलेज की डिजाइनिंग ब्रिटिश वास्तुकार, विलियम इमर्सन द्वारा किया गया था एवं वर्ष 1872 में इसका शुभारंभ हुआ था। मुइर सेंट्रल कॉलेज भारत-अरबी वास्तुकला का एक बेहतरीन उदहारण है। यह इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किमी की दूरी पर स्थित है। मुइर सेंट्रल कॉलेज में 200 फीट टावर स्थापित है जो हल्के पीले सैंड स्टोन से निर्मित है तथा इसमे मार्बल एवं मोज़ेक फर्श भी बनाई गई हैं। तत्पश्चात इसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित कर दिया गया, जो भारत के प्रख्यात विश्वविद्यालयों में से एक है। विश्वविद्यालय में कौशाम्बी संग्रहालय भी स्थापित है जिसमे कौशाम्बी की विभिन्न कलाकृतियां मौजूद हैं जैसे मिट्टी के बरतन, टेराकोटा मूर्तियां, सिक्के, मोती और चूड़ियां।

गणित विभाग (डिपार्टमेंट ऑप मेथेमेटिक्स)

गणित विभाग की स्थापना वर्ष 1872 में हुई थी जो भारत के शिक्षा के प्रमुख केंद्रों में से एक है। विभाग दो मंजिला गोथिक इमारत में स्थापित है जिसमे गुंबददार छत है, जिसे अतीत के इलाहाबाद मेहराब, सिल्हूटों से साथ रेखांकित किया गया है। इमारत में एक टावर भी स्थित है जो पीसा, इटली में निर्मित एक टावर दर्शाता है। यहां की कक्षाओं में उच्च वॉल्ट एवं पुस्तकों का भण्डार मौजूद है। यह विभाग पूर्व की ऑक्सफोर्ड होने के दावे का जीता-जागता प्रमाण है।

सीनेट हॉल

सीनेट हॉल इमारत में विश्वविद्यालय प्रशासन का कार्यालय एवं कुलपति का कार्यालय स्थापित है। वर्ष 1910-1915 के मध्य सर स्विंटन जॉकब ने इसके ढांचे का निर्माण किया था। बिल्डिंग में एक क्लॉक टावर भी स्थित है। सीनेट हॉल बिल्डिंग को छतरी अथवा कैनोपी से सजाया गया है, इसके ऊपरी मंजिल पर बालकनी या झरोखा है जिन पर गहरे लाल रंग की पंक्तियां सुसज्जित हैं एवं दीवारों पर इलाहाबादी आर्क भी बने हैं।

सेंट्रल लाइब्रेरी

सेंट्रल लाइब्रेरी की शुरुआत मुइर सेंट्रल कॉलेज से हुई थी, जो विश्वविद्यालय से संबद्ध है एवं 1872 में स्थापित हुआ था। इसका वर्तमान में देखा जाने वाला ढांचा वर्ष 1973 में तैयार किया गया था।

लाइब्रेरी के सामने, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक प्रतिमा भी स्थापित है, जो हिन्दी के साहित्यकार एवं अनुवादक थें एवं जिन्हे अपने सौंदर्य बोध, प्रकृति के प्रति प्रेम एवं आजादी के लिए जाना जाता है। इनके महत्वपूर्ण कार्यों में परिमल एवं अनामिका शामिल है।

स्वराज भवन

स्वराज भवन, वास्तविक आनंद भवन है, जिसे मोतीलाल नेहरू द्वारा 1930 में इंडियन नेशनल कांग्रेस को तोहफे के रूप में भेंट किया गया था, जिस वक्त उन्होंने इसी के सामने अपना नया घर अर्थात आनंद भवन का निर्माण कराया था। दोनो घर वर्तमान समय में संग्रहालय के रूप में स्थापित हैं जिनमे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की प्रदर्शनी दिखाई जाती है एवं साथ ही ब्रिटिश औपनिवेशिक जीवन शैली को दर्शाता है। स्वराज भवन मूल रूप से सर सैय्यद अहमद खान से संबंधित है, जो 19वीं सदी के मुस्लिम नेता एवं शिक्षाविद थें। वर्ष 1900 में मोतीलाल नेहरू ने इस घर को खरीद लिया एवं इसे स्थायी महल के रूप में परिवर्तित कर दिया। भारत की स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जन्म स्वराज भवन में हुआ था।

आनंद भवन

इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से लगभग 3.5 किमी दूरी पर स्थित आनंद भवन, जवाहरलाल नेहरू का पैतृक आवास है। भारतीय राजनेता मोतीलाल नेहरू द्वारा इसका निर्माण निवास करने के उद्देश्य से किया गया था परंतु जवाहरलाल नेहरू की पुत्री ने वर्ष 1970 में आनंद भवन को भारत सरकार को दान कर दिया, जिसे तत्पश्चात उनके आदेश पर संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया था।

मुख्य इमारत में संग्रहालय स्थापित है, जिसमे नेहरू परिवार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। संग्रहालय में नेहरू का बेडरूम तथा स्टडीरूम भी देखने को मिलता है। यहां पर एक कक्ष ऐसा भी है जो महात्मा गांधी, राष्ट्रपिता को पूर्ण रूप से समर्पित है, जहां पर वे प्रयाग में अपने दौरे के दौरान ठहरा करते थें। साथ ही यहां का एक कक्ष इंदिरा गांधी को भी समर्पित है, इस कक्ष में उनसे संबंधित सामान भी देखने को मिलता है।

खुलने का समय: सोमवार के अतिरिक्त, शेष दिनों में सुबह 9:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक।

यहां पर जवाहरलाल नक्षत्र-भवन भी स्थित है, जहां पर खगोल विज्ञान एवं विज्ञान पर स्काई शो के माध्यम से लोगों के बीच विभिन्न विज्ञान संबंधी सूचनाओं को प्रसारित किया जाता है।

भारद्वाज आश्रम

भरद्वाज ऋषि एक महानतम हिन्दू महर्षि थें, जो ऋषि अंगिरसा के वंशज थें, जिनकी उपलब्धियां पुराणों में विस्तृत रूप से उल्लिखित हैं। ये वर्तमान मन्वंतर में सप्त ऋषियों में से एक हैं; जिनमे से अन्य अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, कश्यप।

बृहस्पति, भारद्वाज परिवार के पूर्वज हैं एवं परिवार को भारद्वाज परिवार पुस्तक के रूप में संबोधित किया जाता है क्योंकि सदियों से इस परिवार के एक सदस्य ने इसके 75 स्तोत्र सृजित किये हैं। उन्हें राजा भरत का समकालीन माना जाता है। भरद्वाज एवं उनके वंशज पुरु जनजाति के विभिन्न कुल एवं राजवंशों के सम्मानित एवं सम्पन्न पंडित/ऋषि थें। वैदिक काल में महर्षि भरद्वाज का उल्लेख किया गया है। वे बृहस्पति के पुत्र थें। इन्हे अद्वितीय विद्या एवं ज्ञान की प्राप्ति हुई। इनके पास ध्यान (मेडिटेशन) की अद्भुत ताकत थी। ये आयुर्वेद के लेखक भी हैं। वर्तमान में प्रयागराज नगरी में इनका आश्रम भी स्थित है।

साहित्य एवं कला:

प्रयागराज में साहित्यिक एवं कलात्मक विरासत देखने को मिलती है; जो पूर्वी एशिया से आगंतुओं को आकर्षित करता है। इनमे चीनी यात्री ह्वेन त्सांग एवं फा ह्यान भी सम्मिलित हैं, जिन्होंने प्रयागराज को समृद्ध और अद्वितीय नगर के रूप में वर्णित किया है। प्रयागराज खुद में ही साहित्य केंद्र के रूप में स्थापित है। हिन्दी साहित्य कुम्भ की इस नगरी में महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला एवं हरिवंश राय बच्चन जैसे लेखकों एवं साहित्यकारों के कार्यों से शहर में परिवर्तन का गवाह बना है। साथ ही यहां पर उर्दू एवं फारसी साहित्य को भी स्थान प्राप्त है, जिनके कुछ उदाहरण फिराक गोरखपुरी, अकबर इलाहाबादी, शबनम नक्वी आदि हैं।

उत्तर प्रदेश पर्यटन बुकिंग/टुअर पैकेज संबंधी जानकारी हेतु उत्त्तर प्रदेश पर्यटन पर्यटन जानकारी केंद्र

पर्यटन निदेशालय, उत्तर प्रदेश
राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन पर्यटन भवन
सी-13, विपिन खंड, गोमती नगर, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
टेलीफोन: +91522-2308993

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ई-मेल: dg.upt1@gmail.com
वेबसाइट: www.uptourism.gov.in

क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय, उत्तर प्रदेश सरकार
35 एमजी मार्ग, सिविल लाइन्स प्रयागराज
टेलीफोन नंबर: +91-532-2408873
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उत्तर प्रदेश पर्यटन
प्लेटफॉर्म नंबर 1, रेलवे फेसिलिटेशन सेंटर के पास, इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन, प्रयागराज

अन्य आकर्षण केंद्र

विभिन्न स्ट्रीट फूड

मधवापुर का देहाती रसगुल्ला, सिविल लाइन्स की आलू टिक्की एवं लोकनाथ के विभिन्न स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड का लुत्फ उठाएं।

हेरिटेज संग्रहालय, सेंट्रल एयर कमांड, भारतीय वायुसेना का इतिहास

एयर चीफ मार्शल ए.वाई. टिपनीस, परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, वायुसेना मेडल, ऐड-डि-कैम्प, एयर स्टाफ प्रमुख दिनांक 21 अक्टूबर, 1999 द्वारा मुख्यालय, सेंट्रल एयर कमांड में हेरिटेज संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। संग्रहालय का प्रमुख उद्देश्य आगंतुकों को शिक्षित व प्रेरित करना है जिससे लोगों को भारतीय वायुसेना के इतिहास व सेंट्रल एयर कमांड मुख्यालय के अधीन इकाइयों की भूमिका एवं विभिन्न उपलब्धियों के बारे में बताया जा सके।

Read More साइज: 7.42MB | भाषा : हिंदी| अपलोड करने की तिथि : 09/03/2022
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