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वृंदावन

मथुरा से 15 किमी दूर एक और तीर्थस्थल वृंदावन स्थित है। यहां नए और पुराने अनगिनत मंदिर हैं, जो इसकी खासियत और पहचान बन चुके हैं। यह स्थान भगवान कृष्ण के प्रेम - मय व्यक्तित्व को सामने लाती कथाओं से भी आबाद है। यहीं उन्होंने गोपियों से शरारतें की और राधा का दिल जीता।

मथुरा के जुड़वाँ शहर वृंदावन में 5000 से भी ज्यादा मंदिर हैं। यहाँ के मंदिरों का पवित्रम स्थल आमतौर पर एक ऐसे कमरे में होता है जहाँ सीढ़ियों के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सके। इन पवित्र स्थलों के बाहर आमतौर पर एक बरामदा है जहाँ नक्काशीदार खंबे मौजूद है। इस मंदिरों के शिखर उल्टे शंकु के आकार के होते हैं जिनकी ढलानों पर कई छोटे उल्टे शंकु उकरे हैं जो शिखरिकास के नाम से जाने जाते हैं। यह ठेठ उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला मनी जाती है। यहाँ मौजूद मंदिर उस युग की कलात्मक अभिव्यक्ति है।