• Vishram Ghat

विश्राम घाट

शहर के सभी धार्मिक और सांस्कृतिक स्थानों की परिक्रमा विश्राम घाट से शुरू होती हैं और यहीं खत्म होती हैं। विश्राम घाट के उत्तर दिशा में 12 घाट स्थित हैंं। ये घाट हैंं गणेश घाट, नीलकंठेश्वर मंदिर वाला दशाश्वमेध घाट, सरस्वती संगम घाट, चक्रतीर्थ घाट, कृष्णगंगा घाट, सोमतीर्थ या स्वामी घाट, घंटाघराण घाट, धरापट्टन घाट, वैकुंठ घाट, नवतीर्थ घाट या वराहक्षेत्र घाट, असिकुंड या ब्रह्म-तीर्थ घाट।

यहाँ दक्षिण की ओर 11 घाट है जो इस प्रकार है गुप्ततीर्थ घाट, प्रयाग घाट जो वेणी माधव मंदिर द्वारा चिन्हित है, श्याम घाट, राम घाट, कनखल घाट, जन्माष्टमी एवं झूला महोत्सव का स्थल, ध्रुव घाट, सप्तऋषि, मोक्षतीर्थ घाट, सूर्य घाट, रावन कोटी घाट एवं बुद्धा घाट

विश्राम घाट के किनारे श्रंखलाबद्ध मंदिरो की कतार सी नजर आती हैं। यहीं पर मथुरा के कुछ मुख्य तीर्थस्थल भी हैंं।इनमे प्रमुख हैं : मुकुट मंदिर, राधा-दामोदर, मुरली मनोहर, नीलकंठेश्वर, यमुना-कृष्णा, लांगली हनुमान और नरसिहं मंदिर। महान वैष्णव संत महाप्रभु बल्लभा चैतन्य की बैठक भी यहां से पास ही में हैं।

विश्राम घाट पर हर शाम होने वाली आरती के दर्शन के सुख से वंचित नहीं हुआ जा सकता। नदी किनारे शाम के समय पानी में तैरते तेल के असंख्य दीयों की जगमगाहट एक अलग एहसास से तृप्त कर जाती हैं।

मथुरा के किसी भी तीर्थ की यात्रा तब तक पूरी नहीं होती जब तक आप यहां के कुंड के दर्शन नहीं कर लेते। किंवदंती हैं कि यहां 159 कुंड हुआ करते थे, लेकिन अब सिर्फ चार ही बचे हैंं। ये हैंं शिव ताल, पोतरा कुंड जिसके पास ही स्थित हैंं भगवन कृष्ण, बलभद्र और सरस्वती कुंड। यहां कई शैव मंदिर भी हैंं। इनमें प्रमुख हैं भूतेश्वर महादेव मंदिर जो शहर के पश्चिम में स्थित हैं, तो उत्तर में गोकर्णेश्वर, दक्षिण में रंगेश्वर महादेव मंदिर तो पूर्व में पड़ता हैं पीपलेश्वर महादेव मंदिर।