मानमंदिर घाट

    घाट तथा घाट स्थित विशाल कलात्मक महल एवं मंदिरों का निर्माण 16वीं शती ई0 के अन्तिम चरण में आमेर (राजस्थान) के राजा मानसिंह द्वारा होने के कारण इसे मानमंदिरघाट कहते है। इस घाट का प्राचीन नाम सोमेेश्वर था जिसका उल्लेख गीर्वाणपदमंजरी में मिलता है। कालान्तर में घाटों का नामकरण निर्माताओं के नाम से सम्बद्ध होने की परम्परा के पश्चात इसका भी नाम बदल गया और इसके निर्माता मानसिंह के नाम पर इसे मानमंदिरघाट कहा जाने लगा। मानमंदिरघाट नाम से इसका सर्वप्रथम उल्लेख प्रिन्सेप ने किया है। काशी का यह घाट धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व की अपेक्षा घाट स्थित विशाल कलात्मक महल तथा महल में निर्मित नक्षत्र वेधाशाल (17वीं शती ई.) के लिए उल्लेखनीय है। घाट स्थित महल तथा घाट की ओर निकली बुर्जियाँ एवं झरोखे उत्तर-मध्यकालीन रास्थानी राजपुत दुर्ग शैली का महत्वपूर्ण उदाहरण है। मानसिंह के वंश राजा सवाई जयसिंह ने 17वीं शती ई. के उत्तरार्द्ध में ग्रह-नक्षत्र की जानकारी देने वाली वेधशाला का निर्माण कराया था जिसमें सम्राट यत्र, लघु सम्राट यंत्र, दक्षिणोत्तर भित्ति यंत्र, नाड़ी वलय यंत्र तथा दिशांग एवं च्रक यंत्र है। वर्तमान में इसमें आभासीय संग्रहालय भी संचालित है।