मनमंदिर घाट की प्रसिद्धि 18वीं सदी में बनी वेधशाला के कारण भी है। खिड़कियों की अलंकृत चौखट वाली इस वेधशाला का निर्माण जयपुर के महाराजा के लिए कराया गया था।
श्रद्धालुजन त्रिपुरभैरवी घाट से मीर घाट और नए विश्वनाथ मंदिर जाने से पहले यहां सोमेश्वर भगवान के दर्शन करते हैं। मीर घाट पर देवी विशालाक्षी का मंदिर भी है। यह वह स्थान है जहां शिव द्वारा ले जाए जा रहे शक्ति के कई अंग गिरे थे। यहां पर धर्म कूप भी है, जिसके चारों ओर अन्य मंदिर स्थित हैं।
यहां से उत्तर में पड़ता है ललिता घाट जहां है भगवान विष्णु का गंगा केशव मंदिर और नेपाली मंदिर। यह बिल्कुल काठमांडू के मंदिरों के जैसी लकड़ी से बना है। इसके भीतर पशुपतेश्वरा की मूर्ति है और कुछ श्रृंगार रस से जुड़ी प्रतिकृतियां भी।