वृंदावन के प्राचीन मंदिरों में से एक, इस मंदिर का निर्माण 1580 में हुआ था। यह एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है जिसके चारों तरफ ऊंची-ऊंची दीवारें हैं। इसका परिक्रमा पथ बांके बिहारी मंदिर से कुछ ही दूरी पर है। 60 फीट ऊंचे शिखर वाला यह भव्य मंदिर अब भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। इसका निर्माण मुल्तान के कपूर राम दास ने कराया था। वृंदावन के प्राचीन मंदिरों में से अब यही शेष बचा है। ऐसी मान्यता है कि कालिया नाग से विजय प्राप्त करने के बाद भगवान कृष्ण इसी पहाड़ी पर आराम करने के लिए आए थे। पानी से पूरी तरह भीगे होने के कारण उन्हें ठंड लगने लगी और तभी बारह सूर्य (द्वादश आदित्य) उन्हें राहत देने नीचे उतर आए। तभी से इस पहाड़ी का नाम द्वादश आदित्य टीला पड़ गया।
इस मंदिर का संबंध संत चैतन्य महा प्रभु से भी है। औरंगजेब के शासन के दौरान भगवान मदन गोपाल की वास्तविक मूर्ति सुरक्षा कारणों से राजस्थान के करौली मंदिर ले जायी गई थी। अब यहां उसी मूर्ति की प्रतिकृति की पूजा होती है।