घाट पर केदारेश्वर शिव का प्रसिद्ध मंदिर होने के कारण ही इसका नाम केदारघाट हुआ। केदारश्वेर शिव का उल्लेख काशी के द्वादश ज्योतिर्लिगों में हुआ है जिसका सन्दर्भ, मत्स्यपुरारण, अग्निपुराण, काशीखण्ड एवं ब्रम्हवैवर्तपुराण में मिलता है। घाट की सीढ़ियों पर गौरीकुण्ड है। चन्द्र ग्रहण, निर्जला एकादशी, गंगादशहरा, मकर व मेष संक्रान्ति, डालाछठ पर स्नानार्थियों की अधिक भीड़ होती है।