अपनी अनूठी वास्तुकला के कारण गोविंद देव मंदिर वृंदावन के पवित्र स्थलों में अलग अहमियत रखता है। इसका निर्माण आमेर के राजा मान सिंह ने 1590 में एक करोड़ रूपए में कराया था। औरंगज़ेब के शासनकाल के दौरान 1670 में यह मंदिर लूट लिया गया था। इसलिए अब केवल तीन मंजिला इमारत बची हुई है।
इस मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक मंदिरों से अलग है। यह मंदिर एक ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है, जिस कारण मुख्य कक्ष में प्रवेश करने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है। एक समय यह ग्रीक क्रॉस की शैली में बनी बेहद भव्य सात मंजिला इमारत हुआ करती थी। इस मंदिर की वेदी और मेहराब चांदी और संगमरमर की थीं।
इसके प्रमुख कक्ष की छत को सजाने के लिए उस पर टनों भारी कमल का फूल गढ़ा गया था। जन्माष्टमी और होली के दौरान मंदिर को फूलों से सजाया जाता है। कहते हैं बादशाह अकबर ने इस मंदिर के निर्माण के लिए लाल बलुई पत्थर भी दिए थे। अकबर ने ये पत्थर आगरा में लाल किले के निर्माण के लिए मंगवाए थे। इस मंदिर के निर्माण में पश्चिमी, हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है।