मथुरा से लगभग 15 किमी दूर दक्षिण-पूर्व में पक्की सड़क से जुड़ा गोकुल है, यमुना के किनारे बसा यह उपनगर महावन शहर में आता है।
ऐसा माना जाता है कि यहाँ भगवान कृष्ण को उनकी पालक माँ ने गोपनीय ढंग से पाला था। यह स्थान बहुत पवित्र है और गोकुलनाथ मंदिर के हजारों तीर्थयात्री यहाँ दर्शन करने आते हैं, खासकर कृष्ण जन्माष्टमी और अन्नकूट पर्व के समय। साथ ही गोकुल, प्रसिद्ध संत वल्लभाचार्य से भी जुड़ा हुआ है जिन्होंने यहाँ वर्षों तक निवास किया था।
- श्री ठकुरानी घाट: यह एक प्रसिद्ध घाट है जहां श्री वल्लभाचार्य ने श्री यमुना महारानी जी के दर्शन प्राप्त किये थे। इसलिए, भगवान विष्णु के अनुयायी, विशेषरूप से वल्लभाचार्य संप्रदाय के लोग इस स्थान को उच्च सम्मान देते हैं।
- नन्द भवन: कहा जाता है कि 5000 वर्ष पूर्व दैवीय वास्तुकार विश्वकर्मा ने नन्द भवन बनाया था। भगवान कृष्ण के पालक पिता, नन्द जी का यह घर पर्वत पर स्थित था। यही वो घर है जिसमें श्री कृष्ण और बलराम का पालन-पोषण हुआ था, जब उनको जन्म देने वाले माता-पिता को राजा कंस ने वृंदावन में बंदी बना रखा था।
- रमन रेती: माना जाता है कि रमन रेती वह रेत है जिसमें भगवान कृष्ण अपने बचपन में खेला करते थे। लगभग 200 वर्ष पूर्व, स्वामी ज्ञानदासजी ने रमन रेती पर 12 वर्ष तक गहन तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न हो कर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए और आज आप उस जगह रमनबिहारी जी का मंदिर देख सकते हैं। आज भक्तगण यहाँ रेत पर लोटते हैं और भगवान कृष्ण के आशीर्वाद की कामना करते हैं।
- रंगबिहारीजी मंदिर: रंगबिहारीजी मंदिर की मुख्य प्रतिमा ठीक वैसी ही है जैसा वर्णन स्वामी ज्ञानदास जी ने भगवान कृष्ण का किया है क्योंकि उन्हें भगवान के दर्शन का सौभाग्य मिला था।