• Gayatri Tapobhoomi

गायत्री तपोभूमि

महर्षि दुर्वासा तथा महर्षि अंगिरा की तपस्थली में वृंदावन मार्ग, मथुरा पर गायत्री तपोभूमि स्थित है। इसका निर्माण गायत्री परिवार के संस्थापक वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24–24 लाख गायत्री मंत्र जप के 24 महापुरश्चरण की पूर्णाहुति के समय सन 1953 में किया था। उन्होंने 30.05.1953 से 22.06.1953 तक 24 दिन का उपवास (मात्र गंगाजल लेकर) करके वेदमाता, देवमाता, विश्वमाता गायत्री की स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा की। यह विश्व का प्रथम गायत्री मंदिर है।

  • गायत्री मंदिर में देश भर के 2400 तीर्थों के जल-रज एवं हस्तलिखित 2400 करोड़ गायत्री मंत्र स्थापित है।
  • स्वावलंबन प्रधान शिक्षा देने वाला युग निर्माण विद्यालय 1966 से चल रहा है।  इसमें दसवीं पास बालकों को एक वर्षीय प्रशिक्षण दिया जाता है, जो कि पूर्ण आवासीय है।
  • यज्ञ शाला में हिमालय के सिद्धयोगी की धूनी की साढ़े सात सौ वर्ष पुरानी अखंड अग्नि वर्ष 1953 से सतत सक्रिय है।
  • पारमार्थिक चिकित्सालय में आयुर्वेद, होम्योपैथी, एलोपैथी, बालरोग, नेत्ररोग एवं नेत्र ऑपरेशन, दंतरोग, फिजियोथेरेपी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से चिकित्सा की जाती है।
  • गौ–संरक्षण की दिशा में माँ भगवती गोशाला का संचालन हो रहा है।

कार्यक्रम

  • प्रतिदिन 5 कुंडीय यज्ञ शाला में प्रातः 6:30 से 8:00 तक सभी के लिए नि:शुल्क यज्ञ व्यवस्था ।
  • साधकों द्वारा विश्व कल्याणार्थ नित्य गायत्री साधना ।
  • नि:शुल्क संस्कार ।
  • नि:शुल्क आवास व माताजी के चौके में शुद्ध सात्विक भोजन ।
  • युग निर्माण योजना (हिन्दी मासिक) तथा युग शक्ति गायत्री (गुजराती मासिक) पत्रिकाओं का प्रकाशन ।
  • युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा  रचित साहित्य का प्रकाशन, प्रदर्शन एवं वितरण ।  
  • प्रत्येक माह की दिनाँक 5 व 20 से दो नौ दिवसीय गायत्री साधनाएँ नि:शुल्क ।
  • प्रतिवर्ष गर्मी की छुट्टियों में बालकों तथा बालिकाओं के लिए अलग-अलग सात दिवसीय माता सरस्वती शिविर नि:शुल्क   
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