भगवान विष्णु को समर्पित गुप्तकाल का यह मंदिर उत्तर भारत में पंचायतन मंदिर के नाम से जाना जाता था।
मंदिर के दरवाजे पर गंगा और यमुना देवियों के रूप की नक्काशी की गयी है। वैष्णव पौराणिक कथाओं की पट्टी पर भी नक्काशी हुई है। यह नक्काशी विश्व में अपने प्रकार की एज लौती वास्तुकला है।
5-6 वीं शताब्दी में शिखर वास्तुकला यहां पहली बार शुरू की गई थी। शिखर का निचला हिस्सा मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण भाग था।