घाट का पक्का निर्माण 18वी0 शती ई0 के अन्तिम चरण में पूर्वी बंगाल के राजा दिग्पतिया ने कराया था। घाट का नाम घाट स्थित प्रमुख चैसठ योगिनी मंदिर से जुड़ा है। वर्तमान चैसट्टी देवी मंदिर (1807 ई0) व्यक्तिगत भवन (डी.22/17) में है। घाट पर चैसट्टी घाट मंदिर के अतिरिक्त काली मंदिर तथा कई देवकुलिकाएँ भी हैं जिनमें शिव, गणेश तथा कार्तिकेय की मूर्तिया है। फाल्गुन (फरवरी/मार्च) शुक्ल एकादशी (रंगभरी एकादशी) को घाट पर स्नानार्थियों की संख्या सर्वाधिक होती है।