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बरेली

बरेली रोहिलखंड के भौगोलिक परिक्षेत्र में रामगंगा के साथ बसा हुआ है। यह नाथ नगरी (भगवान शिव की भूमि), ज़री नगरी और ऐतिहासिक रूप से संजाश्य (जहां बुद्ध तुशिता से पृथ्वी पर उतरे थे) के नाम से भी जानी जाती है। यह फर्नीचर उत्पादन, लकड़ी के काम और चीनी उत्पादन का एक केंद्र है। एक स्थानीय राजपूत बासदेव ने 1537 में इस नगर को बसाया था और आज के आधुनिक नगर की नींव 1657 में मकरंद राय द्वारा रखी गयी थी। 1658 में बरेली, बदायूं प्रांत का मुख्यालय बना।

kashi vishwanath temple

बरेली के बारे में

बरेली पर्यटन परिक्षेत्र के अन्तर्गत बरेली एवं मुरादाबाद मण्डल के बरेली, बदायॅूं, पीलीभीत, शाहजहॉपुर, मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, अमरोहा एवं सम्भल आते है। प्राचीन पाँचाल राज्य के दो भाग क्रमश: उत्तरी पाँचाल एवं दक्षिणी पाँचाल थे। उत्तरी पाँचाल की राजधानी अहिच्छत्र अथवा छत्रवती (वर्तमान में रामनगर, तहसील ऑवला, जनपद बरेली) थी। महाभारत कथा में राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी का स्वयंवर इसी नगर में हुआ था। जैन तीर्थकर भगवान विमलनाथ के जीवन की पाँच घटनाऐं- अवतरण, आवास, अभिषेक, उपगति जिनत्व यहीं होने के कारण इसे पन्च कल्याणक तीर्थ भी कहा गया।

  • जैन ग्रन्थ ‘विविध तीर्थ कल्प‘ के अनुसार भगवान पार्श्वनाथ परिभ्रमण के लिए यहाँ आये थे। एक बार उनके शत्रु कंठासुर ने सम्पूर्ण पृथ्वी को जलप्लावित करने वाली वर्शा करायी। उस समय भगवान पार्श्वनाथ की रक्षा नागराज धनेन्द्र ने सिर पर अपना फण फैलाकर की थी, जिस कारण इस नगर का नाम अहिच्छत्र पड़ा। मध्यकाल में कठेर राजा जगतसिंह व उनके पुत्रों- बॉसदेव और बरलदेव ने वर्तमान बरेली की स्थापना की जिससे इस नगर का नाम बाँस बरेली पड़ा। सन् 1742 ई0 में रूहेलखण्ड की स्थापना रूहेला शासक अली मुहम्मद खान ने शाहाबाद, मुरादाबाद, सम्भल व बरेली जिलों को मिलाकर की।
  • बरेली प्रदेश की राजधानी लखनऊ एवं देश की राजधानी नई दिल्ली से 250 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। बरेली को नाथ नगरी, बरेली शरीफ तथा जरी नगर कहा जाता है। नैनीताल जाने का मुख्य मार्ग भी बरेली होकर ही गुजरता है। लकड़ी व बॉस के फर्नीचर, जरी-जरदोजी, पतगं, मांजा, इत्र एवं सुरमा बनाने के लिए यह नगर काफी प्रसिद्ध है।