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बांके बिहारी मंदिर

यह वृंदावन के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। बांके का अर्थ होता है तीन कोणों पर मुड़ा हुआ, जो वास्तव में बांसुरी बजाते भगवान कृष्ण की ही एक मुद्रा है। बांसुरी बजाते समय भगवान कृष्ण का दाहिना घुटना बाएं घुटने के पास मुड़ा रहता था, तो सीधा हाथ बांसुरी को थामने के लिए मुड़ा रहता था। इसी तरह उनका सिर भी इसी दौरान एक तरफ हल्का सा झुका रहता था। इस मंदिर का निर्माण 1860 में हुआ था तथा यह राजस्थानी वास्तुकला का एक नमूना है। इस मंदिर के मेहराब का मुख तथा यहाँ स्थित स्तंभ इस तीन मंजिला इमारत को अनोखी आकृति प्रदान करते हैं। बांके बिहारी की यह छवि स्वामी हरिदास जी ने निधि वन में खोजी थी। स्वामी हरिदास जी भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे और उनका संबंध निम्बर्क पंथ से था। इस मंदिर का 1921 में स्वामी हरिदास जी के अनुयायियों के द्वारा पुनर्निर्माण कराया गया था।

गर्मियों में : ( 7:45 प्रातः से 12:00, 5:30 सायं से 9:30 सायं)

सर्दियों में : ( 8:45 प्रातः से 1:00 प्रातः तथा 4:30 सायं से 8:30 सायं)